संस्कृत भाषा और साहित्य में गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना।
संस्कृत के सांस्कृतिक और दार्शनिक महत्व की गहरी समझ को बढ़ावा देना।
संस्कृत अध्ययन के क्षेत्र में अनुसंधान और विद्या को प्रोत्साहित करना।
संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं को संरक्षित करना और प्रचारित करना।
हाजीपुर नगर के मध्य में पोखरा मोहल्ला सुभाष चौक पर उदासीन संप्रदाय के महंत ब्रह्मादेव मुनि शास्त्री के द्वारा वर्ष 16.02.1975 में महामहिम कुलाधिपति बिहार के नाम से 1 बीघा 15 कट्ठा 19 दूर जमीन दान देकर संस्कृत शिक्षा के उन्नयन हेतु अपने नाम से ब्रह्मदेव मुनि उदासीनी संस्कृत महाविद्यालय हाजीपुर की स्थापना की है । जो तीन तरफ से मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ है ।
इस महाविद्यालय का संबंध कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय – बिहार से प्राप्त हुआ तथा बिहार राज्य कॉलेज सेवा आयोग से कार्यरत शिक्षक का अनुमोदन प्राप्त है।
Gallery
समय-समय पर इस महाविद्यालय को सरकारी सहयोग, सांसद निधि एवं मंत्री निधि एवं नगर विकास पदाधिकारी, संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए और इस महान वैशाली के पावन धरती की गरिमा को बनाए रखने के लिए सदैव तत्पर प्रयासरत रहे हैं।
वर्तमान विधान परिषद सभापति एवं तत्कालीन पार्षद डॉक्टर देवेशचंद्र ठाकुर जी ने महाविद्यालय के विकास एवं संस्कृत शिक्षा उत्थान हेतू अनुदान पारित किया है और यह कार्य मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के अंतर्गत कराया जा रहा है।